कुंडली ( Kundli ) के रहस्य
ज्योतिष एक प्राचीन विज्ञान है जो ग्रहों, नक्षत्रों और भविष्यवाणी के माध्यम से व्यक्ति के जीवन को अध्ययन करता है। यह भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण विज्ञान रहा है और विश्व के विभिन्न हिस्सों में लोग इसे अपनाते हुए रहे हैं। हालांकि, यह एक विज्ञान नहीं है और आधुनिक विज्ञान के तर्कों और विश्लेषण के अभाव में ज्योतिष को कुछ लोग विश्वसनीय नहीं मानते हैं।
ज्योतिष के माध्यम से कुछ लोग अपने जीवन के रहस्यों को खोलने का प्रयास करते हैं और इसका उपयोग विभिन्न तरीकों से करते हैं, जैसे कि:
1. जातक कुंडली विश्लेषण: ज्योतिष में जन्म कुंडली का महत्वपूर्ण स्थान होता है। कुंडली विश्लेषण के माध्यम से विशेष ग्रहों की स्थिति और योगों का अध्ययन किया जाता है जो व्यक्ति के भविष्य को प्रभावित कर सकते हैं।
2. राशिफल: ज्योतिष में राशिफल का अध्ययन भविष्यवाणी के लिए किया जाता है। राशिफल में व्यक्ति के लिए आने वाले समय के लिए संदेश दिए जाते हैं जिनसे वे अपने जीवन के निर्णय लेने में मदद प्राप्त करते हैं।
3. उपाय और उपायों का प्रयोग: ज्योतिष में कुछ उपाय और उपायों का विवरण भी मिलता है जिनसे व्यक्ति अपने भविष्य में सफलता और शांति प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।
यह जरूरी है कि लोग ज्योतिष के माध्यम से किसी भी निर्णय को अच्छी तरह से समझें और इसका समयानुकूल उपयोग करें। ज्योतिष के अंतर्गत सावधानी से जानकारी प्राप्त करने और किसी भी निर्णय पर भरोसा करने से पहले, आधुनिक विज्ञान और तर्क का प्रयोग करना महत्वपूर्ण है। भविष्य की भविष्यवाणी में निरंतरता की गारंटी नहीं होती है, और यह सभी के जीवन में हर समय सच नहीं साबित होती है।
ज्योतिष के माध्यम से जीवन के रहस्यों को खोलने के लिए व्यक्ति के जन्म समय के अनुसार कुण्डली बनाना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। कुंडली बनाने के बाद उसमें भावों के अनुसार ग्रहों का विश्लेषण कैसे किया जाता है, इस विषय में लोग अपने-अपने ज्ञान के अनुसार विचार करते हैं। कई बार देखा गया है कि जब कुंडली देखी जाती है, तो लोग तुरंत अनुमान लगा देते हैं और कह देते हैं कि यह बात होनी चाहिए या वैसा हो गया है, लेकिन जो कुंडली के विषय में पूछने के लिए आए होते हैं, वे अपने विचारों को व्यक्त कर पाने में समर्थ नहीं हो पाते और फिर दूसरे का नंबर आ जाता है। अपनी कुंडली को खुद से समझना जब तक शिक्षित नहीं होता, तब तक जीवन के रहस्य अपने लिए नहीं समझे जा सकते हैं।
हर व्यक्ति के लिए तीन मुख्य बातें अत्यंत जरूरी होती हैं। पहली बात यह है कि व्यक्ति को अपने समय को पहचानना सीखना चाहिए। इसके बाद, उसे अपनी बात को दूसरों को समझने की कला का अधिग्रहण करना आवश्यक होता है। तीसरी बात यह है कि जब दुःख या कष्ट का समय आता है, बीमारी होती है, तो उसका अपने आप इलाज करना सीखना जरूरी होता है। समय को सीखने के लिए ज्योतिष विज्ञान का इस्तेमाल किया जाता है, और अपनी बात को समझने की कला को व्यक्ति एक मास्टर के रूप में समझता है। इसके अलावा, जीवन में आने वाली बीमारियों को दूर करने के लिए वैद्य की उपस्थिति भी आवश्यक है। शेष कार्य जो जीवन में अपने लिए आवश्यक होते हैं, वे केवल कमाई करने के लिए होते हैं, लोगों के साथ रहने और आगे की पीढ़ी को चलाने से जुड़े होते हैं।
कुंडली ( Kundli ) के रहस्य
ज्योतिष के अनुसार जब भेद खोले जा सकते है तो क्यों न भेद को खोल कर अपने हित के लिए देखा जाए और जो दिक्कत आने वाली है उसका निराकारण खुद के द्वारा ही कर लिया जाए तो कितना अच्छा होगा.आज कल कुंडली बनाने के लिए ख़ास मेहनत नहीं करनी पड़ती है कुंडली को बनाने के लिए बहुत से सोफ्ट वेयर आ गए उनके द्वारा अपनी जन्म तारीख और समय तथा स्थान के नाम से आप अपनी कुंडली को आसानी से बना सकते है.
Kundli |
उपरोक्त कुंडली में नंबर लिखे हुए और भावो के नाम लिखे है तथा ग्रहों के नाम लिखे हुए है.नंबर राशि से सम्बंधित है जैसे लगन जिस समय जातक का जन्म हुआ था उस समय तीन नंबर की राशि आसमान में स्थान ग्रहण किये हुए थी,एक नंबर पर मेष दूसरे नंबर की वृष तीसरे नंबर की मिथुन चौथे पर कर्क पांचवे पर सिंह छठे नंबर की कन्या सातवे नंबर की तुला आठवे की वृश्चिक नवे की धनु दसवे की मकर ग्यारहवे की कुम्भ और बारहवे नंबर की राशि मीन होती है.
कुंडली ( Kundli ) के रहस्य
इसी प्रकार कसे लगन जो पहले नंबर का भाव होता है उसके अन्दर जो राशि स्थापित होती है वह लगन की राशि कहलाती है जैसे उपरोक्त कुंडली में तीन नंबर की मिथुन राशि स्थापित है.इससे बाएं तरफ देखते है चार नंबर लिखा है,इसी क्रम से भावो का रूप बना हुया होता है.पहले भाव को शरीर से दुसरे को धन से तीसरे को हिम्मत और छोटे भाई बहिनों से चौथे नंबर को माता मन मकान और सुख से पांचवे को संतान शिक्षा और परिवार से छठे भाव को दुश्मनी कर्जा बीमारी से सातवे नंबर के भाव को जीवन साथी पति या पत्नी के लिए आठवे भाव को अपमान मृत्यु जान जोखिम नवे को भाग्य और धर्म न्याय विदेश दसवे को कर्म और धन के लिए किये जाने वाले प्रयास ग्यारहवे को लाभ और बड़े भाई बहिन दोस्त के लिए बारहवे को खर्च और आराम करने वाले स्थान के नाम से जाना जाता है.
ग्रह तीन प्रकार के होते है एक अच्छे दुसरे खराब और तीसरे अच्छे के साथ अच्छे और खराब के साथ खराब.खराब ग्रहों में सूर्य मंगल शनि राहू केतु को माना जाता है अच्छे ग्रहों में चन्द्र बुध शुक्र और गुरु को माना जाता है लेकिन बुध और चन्द्रमा के बारे में माना जाता है की बुध जिस ग्रह के साथ होता है और अधिक नजदीक होने पर वह उसी ग्रह के अनुसार अपने काम करने लगता है तथा चन्द्रमा के बारे में कहा जाता है की वह शुक्र पक्ष की अष्टमी से पूर्णिमा तक बहुत अच्छा होता है तथा कृष्ण पक्ष की अष्टमी से अमावस्या तक बहुत खराब होता है बीच के समय में सामान्य अच्छा या बुरा फल देने वाला होता है.
कुंडली को पढ़ने के लिए सबसे पहले तीन बाते ध्यान में रखनी पड़ती है पहली तो ग्रह का स्थान दूसरा ग्रह के द्वारा कहाँ से प्रभाव लिया जा रहा है तीसरा ग्रह किस ग्रह के साथ बैठ कर क्या फल ग्रहण कर रहा है.इसके अलावा जो पांच बाते इसी के अन्दर आती है उनके अन्दर कुंडली में धन कहा है,कुंडली में खराब स्थान कहाँ है कुंडली में राज योग कहा है,कुंडली में ग्रह एक दूसरे को कहाँ एक दूसरे के बल को ग्रहण कर रहे है,और आखिर में देखा जाता है की कुंडली के अन्दर विशेषता क्या है?