Gajkesari Yog क्या होता है (गजकेसरी योग) What is Gajkesari Yog?
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, कुंडली में Gajkesari Yog गजकेसरी योग तब बनता है जब बृहस्पति यानी गुरु और चंद्र ग्रह की युति होती है. बृहस्पति यानी गुरु और चंद्रमा जब एक साथ आते हैं तो उससे कुंडली में गजकेसरी योग का निर्माण होता है. यह एक ऐसा शुभ योग है जो चंद्रमा और बृहस्पति से बनता है. गुरु को ज्योतिष में बहुत ही शुभ ग्रह माना गया है. बृहस्पति देव को दोवताओं का गुरू होने का सौभाग्य प्राप्त है. वहीं चंद्रमा को मन, गतिशिलता, तरलता, मनोबल, शीतलता, सुख-शान्तिका कारक माना जाता है.
कुंडली में गजकेसरी योग कब बनता है? (When is Gajkesari Yog formed in Kundali)
वैदिक ज्योतिष में शुभ योगों में गजकेसरी योग (Gaja Kesari Yoga) को विशेष रुप से शुभ माना जाता है. यह योग गुरु व चन्द्र तो 'गजकेसरी योग' बनता है. गुरु जो धन, ज्ञान, संमृ्द्धि, सौभाग्य, संतान के कारक ग्रह है वहीं चन्द्र मन, गतिशिलता, तरलता, मनोबल, शीतलता, सुख-शान्ति के ग्रह है.
गजकेसरी योग को लग्न से केन्द्र भाव में भी देखने का विचार है. इसकी शुभता केन्द्र भावों के अतिरिक्त अन्य भावों में बनने वाले योग की तुलना में उतम होती है.
गुरु चन्द्र से केन्द्र में होना चाहिए. (Jupiter must be in Kendra from Moon) या गुरु लग्न से केन्द्र में होना चाहिए. (Jupiter must be in Kendra from Ascendant) इस योग में देवगुरु वृ्हस्पति लग्न से केन्द्र में होने चाहिए या चन्द्र से तथा शुभ ग्रहों से द्र्ष्ट होने चाहिए. इसके साथ ही ऋषि पराशर ने यह भी कहा है कि :-
- गुरु नीच स्थिति में
- शत्रु भाव में
- अस्त नहीं होना चाहिए
अगर गुरु गजकेसरी योग बनाते समय इनमें से किसी स्थिति में हों तो योग कि शुभता अवश्य प्रभावित होती है. इस स्थिति में "गजकेसरी योग' प्रतिमाह जन्म लेने वाले 20% से 33 % व्यक्तियों की कुण्डली में होता है. इसके अतिरिक्त ऋषि पराशर के अनुसार गजकेसरी योग बना रहा गुरु कुण्डली में वक्री या पाप ग्रह से द्र्ष्ट नहीं होना चाहिए. यहां पर ध्यान देने योग्य एक विशेष बात यह है कि इस योग में गुरु का चन्द्र से केन्द्र में होना आवश्यक नहीं है.
शुक्र व बुध से बनने वाला गजकेसरी योग (Gajkesari Yog Yoga formed through Venus and Mercury)
एक अन्य मत के अनुसार अगर शुक्र, चन्द्र से केन्द्र 1, 5, 7 तथा 10 में हों तब भी 'गजकेसरी" योग बनता है. पर व्यवहारिक रुप से यह पाया गया है कि शुक्र व बुध जब चन्द्र से केन्द्र में हों तब इस योग की शुभता में वृ्द्धि होती है. इस योग में चन्द्र का शुक्र व बुध से द्रष्टि संबन्ध भी होना चाहिए.
अगर बुध, गुरु, शुक्र से चन्द्र का योग गजकेसरी योग में शामिल किया जाता है तो गजकेसरी योग को शुभ योगों में जो मान्यता प्राप्त है उसमें कमी आयेगी. कई बार वह निरर्थक भी हो जायेगा. क्योकि इस स्थिति में यह योग नब्बे % व्यक्ति की कुण्डली में बनेगा. ऎसे में यह उतम श्रेणी के शुभ धन योगों में से नहीं रहेगा.
वास्तविक रुप में यह देखा गया है कि शुक्र से चन्द्र केन्द्र में होने पर बनता ही नहीं है. शुक्र कि दोनों राशियां सदैव एक दूसरे से षडाष्टक योग रखती है. इस स्थित में शुक्र की एक राशि केन्द्र में हो भी तो दूसरी राशि हमेशा पाप भाव में होगी. इस स्थिति में गजकेसरी योग भंग हो जाता है तथा योग की शुभता, अशुभता का स्थान ले लेती है.
बुध से बनने वाले गजकेसरी योग में गुरु व बुध पर चन्द्र की द्रष्टि होने की बात कही गई है. ऎसे में चन्द्र को इन दोनों ग्रहों से सप्तम भाव में होना चाहिए. तभी चन्द्र व गुरु एक- दूसरे से केन्द्र में हो सकते है.
गजकेसरी योग में किस प्रकार के फल प्राप्त होते है? (What are the results of the Gajkesari Yog)
"गजकेसरी" योग (Gajkesari Yog) के विषय में यह मान्यता है कि यह योग व्यक्ति को "गज के समान" स्वर्ण देने की संभावनाएं देता है. राजयोगों व धनयोगों के बाद इस योग के फलों का विचार किया जाता है. गजकेसरी योग जब पूर्ण रुप से किसि व्यक्ति कि कुण्डली में बन रहा हो तो व्यक्ति को गुरु व चन्द्र की दशा - अन्तर्दशा में इसके शुभ फल प्राप्त होते है.
जिस प्रकार अन्य प्रसिद्ध योग सभी के लिये एक समान फल नहीं देते है. उसी प्रकार एक व्यक्ति को गजकेसरी योग (Gajkesari Yog ) धनवान व प्रसिद्धि देता है तो दूसरे को इसके फल सामान्य से भी कम प्राप्त होते है. योग के फल, भाव, ग्रहों, राशियों व इस योग में युक्त गुरु व चन्द्र कि स्थिति से प्रभावित होते है.
आईये गजकेसरी योग (Gajkesari Yog ) से मिलने वाले फलों को जानने का प्रयास करते है.
गजकेसरी योग के फल (Result of Gaja Kesari Yoga)
गजकेसरी योग में गज (हाथी) व केसरी (सिंह) दोनों ही जानवर प्रकृ्ति से सबसे प्रभावशाली व शक्तिशाली है. ऋषि परासर के अनुसार गजकेसरी योग के फलस्वरुप व्यक्ति योग्य, कुशल, राजसी सुखों को भोगने वाला, जीवन में उच्च पद, अति बुद्धिशाली, वाद-विवाद व भाषण में निपुण होता है.
गज को बुद्धिमता व ज्ञान के प्रतीक के रुप में जाता है. गज अर्थात हाथी में अपने योग्यता का अभिमान नहीं होता है. उसे अपनी ताकत का समझ -बूझ कर प्रयोग करना आता है. यह योग व्यक्ति को यशस्वी व कुशाग्र बुद्धि वाला बनाता है. गजकेसरी योग के कारण व्यक्ति की आयु में भी वृ्द्धि होती है.
जिस व्यक्ति की जन्म कुण्डली में गजकेसरी योग (Gaja Kesari Yoga) होता है, उसमें भी उपरोक्त सभी गुण व सुख प्राप्त होने की संभावनाएं बनती है.
गजकेसरी योग से धन लाने वाले योग (Combinations that bring wealth from Gaja Kesari Yoga)
सभी ग्रहों में ग्रुरु को धन का कारक ग्रह कहा है. चन्द्र भी तरल धन के कारक ग्रह के रुप में जाने जाते है. यही कारण है कि यह माना जाता है कि यह योग उतम रुप में बने तो व्यक्ति को "गज" के समान धन प्राप्त होने की संभावनाएं देता है. अर्थात इस योग के फलस्वरुप व्यक्ति को जीवन में अत्यधिक धन प्राप्ति के अवसर प्राप्त हो सकते है.
" गजकेसरी " हाथी + सिंह की योग्यताएं (Special qualities given by Gaja Kesari Yoga)
यह योग हाथी व शेर के संयोग से बनता है इसलिये इस योग का व्यक्ति सिंह के समान अपने शत्रुओं को हराने वाला, शत्रुओं पर अपना प्रभाव बनाये रखने वाला, परिवक्व वाणी, सभाओं में उच्च पद, अधिकारिक शक्तियां पाने वाला, चतुर बुद्धि व नियोजन करने के बाद कार्य करने वाला बनाता है. चूंकि यह योग गुरु से बन रहा है इसलिये व्यक्ति को धन लाभ की प्राप्ति भी होती है.
व्यापार पर गज केसरी योग का प्रभाव (Influence of Gaja Kesari Yoga on business)
गुरु व चन्द्र यह योग जिन भावों में स्थित होकर बना रहे होते है. व्यक्ति को उन भावों के फल शुभ रुप में प्राप्त होते है. गजकेसरी योग जब चतुर्थ व दशम भाव में बनता है तो व्यक्ति के अपने कार्यक्षेत्र में उच्च स्थान, उच्चाधिकार व यश प्राप्त करने की संभावनाएं बनती है.
ऎसे में चन्द्र अकेला नहीं होगा. तथा अशुभ माने जाने वाले केमद्रुम योग का निर्माण नहीं हो रहा है. जब कुण्ड्ली में चन्द किसी अशुभ योग में शामिल न हो तो गजकेसरी योग अपने पूर्ण फल देता है. इसलिये जब गुरु या चन्द्र दोनों में से कोई उच्च का, बली होकर गजकेसरी योग बना रहा हों, तथा केमद्रुम योग भी कुण्डली में बन रहा हों हो पीडित चन्द्र अपने फल नहीं दे पाता है.
राशियों में गजकेसरी योग किस प्रकार के फल देता है? What kind of results does Gajkesari Yog give in zodiac signs
गुरु से चन्द्र का केन्द्र में स्थित होना, व्यक्ति की कुण्डली में गजकेसरी योग (Gajkesari Yog) बनता है. गजकेसरी योग प्रसिद्ध धन योगों में से एक योग है. गजकेसरी योग जिस व्यक्ति की कुण्डली में होता है. उस व्यक्ति के धन, सुख, यश व योग्यता में वृ्द्धि होती है.
इसकी शुभता से व्यक्ति की आर्थिक स्थिति को बल प्राप्त होता है. तथा ऎसा व्यक्ति अपने शत्रुओं पर अपना प्रभाव बनाये रखने में सफल होता है. विद्वता, शक्ति, अधिकार व बुद्धि इन सभी गुणों की प्राप्ति की संभावनाएं भी यह योग बनाता है.
गजकेसरी योग (Gajkesari Yog) से मिलने वाले फल भी राशियों के गुणतत्वों से प्रभावित होते है. अलग-अलग राशियों के व्यक्तियों के लिये गजकेसरी योग अलग अलग फल देता है. विभिन्न राशियों में गजकेसरी योग (Gajkesari Yog) से किस प्रकार के फल प्राप्त हो सकते है.
1. मेष राशि में गजकेसरी योग
मेष राशि में गजकेसरी योग बनने पर व्यक्ति को तर्क करने में कुशलता प्राप्त होती है. वह वाद-विवाद में निपुण होता है. ऎसे व्यक्ति का ध्यान सदैव अपने लक्ष्य पर होता है. इसलिये जीवन में उच्च सफलता प्राप्ति की संभावनाएं बनती है. इस योग वाला व्यक्ति अपने शत्रुओं पर अपना प्रभाव बनाये रखता है.
गजकेसरी योग धन योग है. इसलिये व्यक्ति के धन में स्वभाविक रुप से वृ्द्धि होती है. योग की शुभता व्यक्ति को संतान संपन्न बनाने में सहयोग करती है. उसे यश व नाम की प्राप्ति होती है.
इस योग में गजकेसरी योग क्योकि मेष राशि में बन रहा है. इसलिये व्यक्ति के स्वभाव में क्रोध के गुण व्याप्त होने की भी संभावनाएं बनती है. इस योग का व्यक्ति न्याय करने में कठोर निर्णय लेने से भी नहीं चूकता है.
2. वृ्षभ राशि में गजकेसरी योग
जब किसी व्यक्ति की कुण्डली में गजकेसरी योग बनने पर व्यक्ति स्वभाव से दयालु, समाजसेवी व दुसरों की सहायता के लिये तत्पर रहने वाला होता है. उसकी धार्मिक कार्यो में विशेष रुचि होने की संभावनाएं बनती है. योग की शुभता व्यक्ति को समृ्द्धिशाली बनाने में सहयोग करती है. तथा ऎसा व्यक्ति सोच-विचार के बोलने की प्रवृ्ति रखता है.
3. मिथुन राशि में गजकेसरी योग
अगर गजकेसरी योग मिथुन राशि में बनने पर व्यक्ति के धन में वृ्द्धि होती है. यह योग व्यक्ति को वैज्ञानिक बुद्धि का बनाता है. तथा व्यक्ति दूसरों के विषय में अच्छे विचार रखता है.
4. कर्क राशि में गजकेसरी योग
गजकेसरी योग का निर्माण जब कर्क राशि में हो रहा हों तो व्यक्ति विद्वान हो सकता है. ऎसा व्यक्ति जिस भी क्षेत्र में जाता है, अपना प्रभाव बनाये रखता है. वह धार्मिक आस्थावान होता है. तथा संस्कारों से युक्त भी होता है. उसे सत्य बोलने में रुचि होती है. तथा स्वभाव में दूसरों के प्रति किसी प्रकार की कोई कुटिलता नहीं होती है. इस योग के व्यक्ति को यश व प्रसिद्धि की प्राप्ति होती है.
5. सिंह राशि में गजकेसरी योग
गजकेसरी योग क्योकि गज व सिंह के योग से बनता है. इसलिये सिंह राशि में सिंह की सभी विशेषताएं व्यक्ति के स्वभाव में आने की संभावनाएं बनती है. सिंह राशि में गजकेसरी योग व्यक्ति को शत्रुओं का सामना बहादुरी से करने की योग्यता देता है. ऎसा व्यक्ति अपने मित्रों कि सहायता के लिये तैयार रहता है. वह राजसिक वस्त्र पहनना पसन्द करता है. तथा उसे प्राकृ्तिक प्रदेशों में घूमने का शौक हो सकता है.
6. कन्या राशि में गजकेसरी योग
कन्या राशि में गजकेसरी योग व्यक्ति को बुद्धिमान, धार्मिक, चतुर और यशस्वी बनाता है.
उपरोक्त सभी राशियों में गजकेसरी योग के पूर्ण फल पाने के लिये यह आवश्यक है कि चन्द्र व गुरु दोनों ही मित्रक्षेत्री, शुभ भावेशों से युक्त - द्र्ष्ट व शुभ भावस्थ हों, तभी योग के सभी फल प्राप्त होने की सम्भावनाएं बनती है.
7. तुला राशि में गजकेसरी योग
गजकेसरी योग तुला राशि में बने तो व्यक्ति विद्वान होता है. वह धनी होता है. इस योग के व्यक्ति को विदेश में निवास करना पड सकता है. उसे कला विषयों से स्नेह होने की संभावना बनती है.
8. वृ्श्चिक राशि में गजकेसरी योग
वृ्श्चिक राशि में गजकेसरी योग बने तो व्यक्ति ज्ञानी व अपने विषय क्षेत्र में कार्य कुशल होता है. यह योग व्यक्ति को दृढ आस्था वाला बनाता है. अपनी धार्मिक आस्था के रहते वह धर्म के क्षेत्र में विशेष कार्य करता है. उसके स्वभाव में कुछ जिद्द का भाव हो सकता है. यह योग मंगल की राशि में बन रहा है, इसलिये व्यक्ति में कुछ लालच का भाव हो सकता है.
9. धनु राशि में गजकेसरी योग
जब किसी व्यक्ति की कुण्ड्ली में गजकेसरी योग में होने पर योग के फलस्वरुप व्यक्ति कि धार्मिक आस्था में वृ्द्धि होती है. यह योग व्यक्ति को आध्यात्मिक प्रवृ्ति का बना सकता है. यह योग क्योकि गुरु के संयोग से बन रहा है इसलिये योग कि शुभता से व्यक्ति विद्वान बनता है.
10. मकर राशि में गजकेसरी योग
शनि की मकर राशि में इस योग के बनने पर गजकेसरी योग उतम श्रेणी के फल नहीं देता है. फिर भी इस योग से व्यक्ति में चिन्तन प्रवृ्ति आती है. व गंभीर विषयों पर कार्य करना पसन्द करता है.
11. कुम्भ राशि में गजकेसरी योग
इस राशि में भी व्यक्ति की सेवा के कार्यो में कम रुचि लेता है. मित्रों पर कुछ अपव्यय कर सकता है. शनि व गुरु के संबन्ध मित्रवत न होने के कारण शनि की राशियों में गजकेसरी योग की शुभता में कमी होती है. इस स्थिति में गजकेसरी योग से मिलने वाले उपरोक्त फल कम शुभ होकर प्राप्त होते है.
12. मीन राशि में गजकेसरी योग
मीन राशि क्योकि गुरु की अपनी राशि है. मीन राशि में गजकेसरी योग बनने पर व्यक्ति को धार्मिक पुस्तकों के अध्ययन में रुचि होने कि संभावनाएं बनती है. उसे धन व सम्मान की प्राप्ति होती है. ऎसा व्यक्ति द्र्ढ निश्चय वाला होता है. तथा उसमें संयम का भाव पाया जाता है.
गजकेसरी योग में फलादेश को प्रभावित करने वाले तत्व
गुरु-चन्द्र का एक दुसरे से केन्द्र में होना गजकेसरी योग (Gajkesari Yog) का निर्माण करता है. गजकेसरी योग व्यक्ति की वाकशक्ति में वृ्द्धि होती है. इसकी शुभता से धन, संमृ्द्धि व संतान की संभावनाओं को भी सहयोग प्राप्त होता है. गुरु सभी ग्रहों में सबसे शुभ ग्रह है.
इन्हें शुभता, धन, व सम्मान का कारक ग्रह कहा जाता है. इसी प्रकार चन्द्र को भी धन वृ्द्धि का ग्रह कहा जाता है. दोनों के संयोग से बनने वाले गजकेसरी योग (Gajkesari Yog) से व्यक्ति को अथाह धन प्राप्ति की संभावनाएं बनती है. परन्तु गजकेसरी योग (Gajkesari Yog) से मिलने वाले फल सदैव सभी के लिये एक समान नहीं होते है.
अनेक कारणों से गजकेसरी योग (Gajkesari Yog) के फल प्रभावित होते है. कई बार यह योग कुण्डली में बन रहे अन्य योगों के फलस्वरुप भंग हो रहा होता है. तथा इससे मिलने वाले फलों में कमी हो रही होती है. परन्तु योगयुक्त व्यक्ति को इसकी जानकारी नहीं होती है.
गजकेसरी योग का फलादेश करते समय किस प्रकार की बातों का ध्यान रखना चाहिए. आईये यह जानने का प्रयास करते है.
1. गुरु-चन्द्र स्वामित्व
गजकेसरी योग से मिलने वाले फलों का विचार करते समय विश्लेषणकर्ता इस बात पर ध्यान देता है कि चन्द्र तथा गुरु किन भावों के स्वामी है. इसमें भी गुरु की राशियां किन भावों में स्थित है, इसका प्रभाव योग की शुभता पर विशेष रुप से पडता है.
जन्म कुण्डली में चन्द व गुरु की राशि शुभ भावों में होंने पर गजकेसरी योग की शुभता में वृ्द्धि व अशुभ भावों में इनकी राशियां स्थित होने पर योग की शुभता कुछ कम होती है.
2. चन्द्र नकारात्मक स्थिति
जब कुण्डली में चन्द्र पीडित होना गजकेसरी योग के अनुकुल नहीं समझा जाता है. अगर चन्द्र केमद्रुम योग में न हों, चन्द्र से प्रथम, द्वितीय अथवा द्वादश भाव में कोई ग्रह नहीं होने पर चन्द्र के साथ-साथ गजकेसरी योग के बल में भी वृ्द्धि होती है.
इसके अलावा चन्द का गण्डान्त में होना, पाप ग्रहों से द्रष्टि संबन्ध में होना, या नीच का होना गजकेसरी योग के फलों को प्रभावित कर सकता है.
3. गुरु चन्द्र के अशुभ योग
कुण्डली में जब ग्रुरु से चन्द छठे, आंठवे या बारहवें भाव में होंने पर शकट योग बनता है. यह योग क्योकि गुरु से चन्द्र की षडाष्टक स्थिति में होने पर बनता है इसलिये अनिष्टकारी होता है.
इसलिये गजकेसरी योग भी शुभ भावों में बनने पर विशेष शुभ फल देता है. तथा गुरु व चन्द्र की स्थिति इसके विपरीत होने पर गजकेसरी योग की शुभता में कमी होती है.
4. गजकेसरी योग व केमद्रुम योग
गजकेसरी योग क्योकि गुरु से चन्द्र के केन्द्र में होने पर बनता है. इस योग के अन्य नियमों का वर्णन इससे पहले दिया जा चुका है. इन नियमों में यह भी सम्मिलित करना चाहिए. कि चन्द्र के दोनों ओर के भावों में सूर्य, राहू-केतु के अलावा अन्य पांच ग्रहों में से कोई भी ग्रह स्थित होना चाहिए.
5. गुरु नकारात्मक स्थिति
गुरु का वक्री होने पर गजकेसरी योग की गुणवता में कमी होती है. जो पाप ग्रह इनसे युति, द्रष्टि संबन्ध बना रहा हों उस ग्रह की अशुभ विशेषताएं योग में आने की संभावनाएं रहती है.
6. गुरु-चन्द सकारात्मक पक्ष
अगर गुरु अथवा चन्द्र उच्च, गुरु सुस्थिति में हों तो यह गजकेसरी योग व्यक्ति को उतम फल देगा. व अगर चन्द अथवा गुरु दोनों में से कोई अपनी मूलत्रिकोण राशि में स्थित हों, अच्छे भाव में हों और दूसरा ग्रह भी शुभ स्थिति में हों तब भी गजकेसरी योग की शुभता बनी रहती है.
7. "गजकेसरी योग' दशाओं का प्रभाव
सभी योगों के फल इनसे संबन्धित ग्रहों कि दशाओं में ही प्राप्त होते है. कई बार किसी व्यक्ति की कुण्डली में अनेक धनयोग व राजयोग विधमान होते है. परन्तु उस व्यक्ति को अगर धनयोग व राजयोग बना रहे, ग्रहों की महादशा न मिलें तो व्यक्ति के लिये ये योग व्यर्थ सिद्ध होते है. इसी प्रकार गजकेसरी योग के फल भी व्यक्ति को गुरु व चन्द्र की महादशा प्राप्त होने पर ही प्राप्त होते है.
व्यवहारिक रुप में यह देखने में आया है कि गजकेसरी योग के सर्वोतम फल उन्हीं व्यक्तियों को प्राप्त हुए है. जिनकी कुण्डली में यह योग बन रहा हों तथा जिनका जन्म गुरु या चन्द्र की महादशा में हुआ हों. उस अवस्था में गजकेसरी योग विशेष रुप से लाभकारी रहता है.
इसके अलावा गजकेसरी योग के व्यक्तियों को जन्म के समय गुरु या चन्द्र की अन्तर्दशा प्राप्त होना भी शुभ फलकारी होता है. या फिर गुरु में गुरु की महादशा या चन्द्र में चन्द्र कि महादशा में जन्म होने पर भी गजकेसरी योग का व्यक्ति अपने जीवन में धन व यश की प्राप्ति करता है.
चर, स्थिर व द्विस्वभाव राशियों में गजकेसरी योग (Placement of Gajkesari Yog in Moveable, Fixed and Dual Signs)
गजकेसरी योग में गुरु-चन्द का बल निर्धारण किस प्रकार किया जाता है?
गजकेसरी योग को धन योगों की श्रेणी में रखा जाता है. इस योग का निर्माण गुरु से चन्द्र के केन्द्र में होने पर होता है. यह योग जब केन्द्र भावों में बने तो सबसे अधिक शुभ माना जाता है. गजकेसरी योग व्यक्ति को धन, सम्मान व उच्च पद देने वाला माना गया है.
गजकेसरी योग से मिलने वाले फल भाव, ग्रह, दृष्टि व ग्रहयुति के साथ साथ राशियों की विशेषताओं से भी प्रभावित होते है. गजकेसरी योग के फल चर, स्थिर व द्विस्वभाव राशियों में किस प्रकार के हो सकते है. आईये यह जानने का प्रयास करते है.
1. गजकेसरी योग चर राशियों में
अगर किसी व्यक्ति की कुण्डली में गुरु अपनी उच्च राशि में अर्थात कर्क राशि में स्थित होकर गजकेसरी योग बना रहे है तो इस स्थिति में उस व्यक्ति की कुण्डली में चन्द्र की स्थिति मेष, कर्क, तुला व मकर में रहेगी. क्योकि कर्क राशि से यही राशियां केन्द्र भाव में पडती है. अर्थात इस स्थिति में गुरु व चन्द्र दोनों ही चर राशियों में स्थित हो यह योग बनायेगें.
चर राशियों में बनने वाले गजकेसरी योग के फलों में भी कुछ स्थिरता की कमी रहने की संभावना बनती है. यह योग एक ओर जहां व्यवसायिक क्षेत्र में व्यक्ति की गतिशीलता को बढायेगा. वही इस योग के फलस्वरुप व्यक्ति के जीवन में तरल धन की कमी न रहने की संभावनाएं भी बनायेगा.
2. गजकेसरी योग स्थिर राशियों में
इसी प्रकार गजकेसरी योग में जब गुरु स्थिर राशियां अर्थात वृषभ, सिंह, वृश्चिक तथा कुम्भ में हों तो चन्द्र की स्थिति भी इनमें से किसी एक राशि में ही होनी चाहिए.
इन राशियों में से सिंह व वृश्चिक दोनों राशियों के स्वामी गुरु व चन्द्र के मित्र है. इसलिये जब गजकेसरी योग इन दोनों राशियों में बन रहा हों तो मिलने वाले फल अधिक शुभ होते है. स्थिर राशियों में गजकेसरी योग बनने पर व्यक्ति के धन में स्थिरता का भाव रहने की संभावनाएं बनती है.
3. गजकेसरी योग में द्विस्वभाव राशियों में
यदि किसी व्यक्ति की कुण्डली में गुरु किसी भी द्विस्वभाव राशि अर्थात (मिथुन, कन्या, धनु व मीन) में स्थिति होकर गजकेसरी योग का निर्माण कर रहा हों तो ऎसे में चन्द्र भी द्विस्वभाव राशि में ही स्थित होगा. तभी इस योग का निर्माण हो सकता है. अन्यथा योग बनने की संभावनाएं नही है.
इस प्रकार यह स्पष्ट है कि 'गजकेसरी योग' में गुरु व चन्द्र दोनों चर, स्थिर या द्विस्वभाव राशियों में होते है. ऎसा न होने पर यह योग नहीं बनता है.
गजकेसरी योग में गुरु-चन्द्र के बल का मूल्यांकन
गजकेसरी योग में गुरु व चन्द्र बली
गजकेसरी योग बना रहे दोनों ग्रह गुरु व चन्द्र दोनों कभी भी एक साथ उच्च के नहीं हो सकते है. क्योकि गुरु कर्क में उच्च के होते है तथा चन्द्र वृ्षभ में उच्च के होते है. और ये दोनों राशि एक -दूसरे से तृ्तीय़ व एकादश भाव की राशि होती है.
ऎसे में गुरु से चन्द्र केन्द्र स्थान में होने के स्थान पर एकादश भाव में आते है. जो गजकेसरी योग के नियम विरुद्ध है. इन दोनों ग्रहों की राशियों का परस्पर केन्द्र में न होना भी इस योग की शुभता को कम करता है. गजकेसरी योग में गुरु या चन्द्र दोनों में से कोई भी ग्रह उच्च राशि में स्थित हों तो व्यक्ति को इस योग के सर्वोतम, शुभ फल प्राप्त होते है.
गजकेसरी योग में गुरु व चन्द्र निर्बली
जिस प्रकार गुरु व चन्द्र गजकेसरी योग में उच्च राशियों में स्थित नहीं हो सकते है, ठिक उसी प्रकार इस योग में दोनों ग्रह अपनी नीच राशियों में भी स्थित नहीं हो सकते है. गुरु मकर राशि में नीचता प्रात्प करते है तो चन्द्र की नीच राशि वृ्श्चिक है. दोनों राशियां फिर परस्पर तृ्तीय व एकादश भाव की राशियां होती है.
गजकेसरी योग के नियम के अनुसार गुरु से चन्द्र केन्द्र भावों में होना चाहिए. इसलिये जब कुण्डली में गजकेसरी योग का निर्माण हो रहा हों तो गुरु या चन्द्र दोनों में से कोई एक ग्रह ही नीच का हो सकता है. योग में सम्मिलित जो भी ग्रह नीच का होकर स्थित होगा उस ग्रह के कारकतत्वों की प्राप्ति की संभावनाओं में कमी होग