Rashi chakra राशि चक्र क्या है इनमें पैदा होने वाले जातक

Rashi chakra राशि चक्र क्या होता है इन राशियों में पैदा होने वाले जातक 

Rashi chakra
Rashi chakra


Rashi chakra राशि चक्र चूँकि देखने में यह प्रतीत होता है कि सूर्य चल रहा है। मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि इत्यादि ग्रह सूर्य की परिक्रमा करते हैं। ये जिस रास्ते से गमन करते हैं, वह रास्ता राशि-चक्र कहलाता है। इसे ही बारह भागों में विभक्त करने पर बारह राशियां होती हैं। इनके नाम क्रम इस प्रकार से हैं।

 

1. मेष                                         5. सिंह                                      9. धनु     

2. वृषभ                                       6. कन्या                                   10. मकर

3. मिथुन                                      7. तुला                                    11. कुम्भ 

4. कर्क                                        8. वृश्चिक                                  12. मीन

 

यह राशि मण्डल बिल्कुल गोल नहीं अपित अण्डे की आकृति की होती है| इसके केन्द्रों पर 360 अंश का कोण निर्मित होता है।इसलिए इसके 12 राशियों में  बराबर बाटने पर प्रत्येक राशि को 30 अंश प्राप्त होते हैं। ये बारह विभाग राशियां कहलाती हैं। 

 

1. मेष            30 अंश       5. सिंह        30 अंश       9. धनु        30 अंश

2. वृषभ         30 अंश       6. कन्या       30 अंश       10. मकर    30 अंश

3. मिथुन       30 अंश        7. तुला        30 अंश         11. कुम्भ    30 अंश

4. कर्क         30 अंश        8. वृश्चिक      30 अंश        12. मीन      30 अंश

 

सूर्य का जिस दिन राशि में प्रवेश होता है यह दिन संक्रान्ति का कहलाता है। भारतीय ज्योतिष में सूर्य जिस दिन मेष राशि में प्रवेश करता है उसे स्थिर माना गया है।  भारतीय ज्योतिष में ग्रहों का निरयण ग्रह स्पष्ट रहता है। मेष राशि का आरम्भ जहां से होता है वही से अश्विनी नक्षत्र  की गणना की गई है। 

भारतीय ज्योतिष में मुख्य रूप से नौ ग्रह माने गए हैं,  

1. सूर्य    2. चन्द्र   3. मंगल    4. बुध    5.  बृहस्पति    6.  शुक्र    7. शनि  8. राहु   9. केतु

 

ऊपर जो ग्रह उल्लिखित हैं, वही नव ग्रह कहलाते हैं। किसी भी धार्मिक पूजन इत्यादि में गणपति की पूजा के बाद, नव ग्रहों की पूजा की जाती है, जिससे कार्य में आने वाले विघ्न और बाधाएं नष्ट हो जाएं। 

 

भारतीय ज्योतिष में दृश्यग्रह 

सूर्य, चन्द्र, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र और शनि दृश्यग्रह होते हैं, परन्तु राहु और केतु अदृश्यम या बिन्दु छायाग्रह   हैं, जिनका पृथ्वी पर विशेष प्रभाव पड़ता है।

 

भारतीय ज्योतिष में ग्रहो की चाल 

ग्रहों में सूर्य और चन्द्र सदा मार्गी गति से ही गमन करते प्रतीत होते हैं, अतः उनकी सदा मार्गी गति होती है|मंगल, बुध, गुरु, शुक्र और शनि ग्रह कभी मार्गी और कभी वक्री गमन करते हैं। अतः इनकी वक्री और मार्गी दोनों प्रकार की गतियाँ मानी जाती हैं।

 

ज्योतिष शास्त्र में 12 राशियां होती हैं इन 12 राशियों का स्वामी या अधिपति कहलाता है 

मेष राशि का स्वामी मंगल 

वृषभ राशि का स्वामी शुक्र 

मिथुन राशि का स्वामी बुध 

कर्क राशि का स्वामी चंद्र 

सिंह राशि का स्वामी सूर्य 

कन्या राशि का स्वामी बुध 

तुला राशि का स्वामी शुक्र 

वृश्चिक राशि का स्वामी मंगल 

धनु राशि का स्वामी बृहस्पति 

मकर राशि का स्वामी शनि 

कुंभ राशि का स्वामी शनि तथा 

मीन राशि का स्वामी बृहस्पति को माना गया है 

राहु और केतु दो ऐसे ग्रह हैं जिनकी जो किसी भी राशि के स्वामी नहीं है राहु और केतु का दूसरा नाम यूरेनस और नेपच्यून या प्लूटो है इनको ज्योतिष शास्त्र में कोई भी स्थान नहीं दिया गया है फिर भी कुंडली में इनकी भी गणना की जाती है 

 

राशि का विचार जिस भाव में जो राशि आई है उसी राशि के स्वामी का विचार किया जाता है यदि राशि का स्वामी बलवान हो तो जिस भाव में वह बैठा है वह भाव भी बलवान होगा 

राशियों को तीन भागों में बांट दिया गया है 

1. स्थिर राशियां:- मेष, कर्क ,तुला और मकर राशि     

2 .चर राशियां:-   वृषभ सिंह वृश्चिक और कुंभ राशि 

3.द्विस्वाभव राशियां:- मिथुन कन्या धनु और मीन राशि भाव राशियां 

 

चर राशियों में जन्म लेने वाले बच्चे पैदल चलना

इससे राशियों में जन्म लेने वाले एक ही जगह रहना पसंद करते हैं कम चलना पसंद करते हैं परिवर्तन नहीं चाहते हैं

द्विस्वाभव राशि में पहले 15 अंश तक स्थिर रहता है तथा बाद के 15 अंश तक 4 राशियों का गुण होता है 

 

राशियों की दिशाएं 

मेष, सिंह और धनु पूरब दिशा वृष कन्या और मकर दक्षिण दिशा मिथुन तुला और कुंभ पश्चिम दिशा कर्क वृश्चिक और मीन उत्तर दिशा में अपना विशेष प्रभाव दिखाते हैं 

अर्थात यदि आपको यात्रा के लिए निकलना है इन राशियों को देखकर जो राशियां क्षेत्र में प्रभाव डालते हैं उनमें यात्रा नहीं करनी चाहिए जैसे मंगल बुद्ध को उत्तर दिशा में यात्रा न करें दक्षिण में बृहस्पतिवार को यात्रा न करें पूरब दिशा में और शनि को न जाएं रवि वह शुक्रवार को पश्चिम दिशा में ना जाए


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